*_घास के पैसे (लघुकथा)_*
*मै अपनी सुन्दर पड़ोसन के साथ पार्क में गया। हम एकान्त में बैठे।*
*वो बोली: क्या करें? मैने कहा: एक चुटकुला सुनो:*
*चुटकुला*
*एक सन्यासी मन्दिर में सो रहा था। रात को एक सुन्दरी आकर उसके पास लेट गयी। सुबह को सन्यासी पछताया। जाकर अपने गुरु से बोला: बताइये, प्रायश्चित कैसे होगा?*
*गुरु ने पूछा: तुमने सुन्दरी के साथ कुछ किया भी था?*
*सन्यासी ने कहा: नहीं।*
*गुरु बोले: दस दिन तक सुबह उठकर घास चरो।*
*सन्यासी ने पूछा: ऐसा क्यों? गुरु ने कहा: इसलिये कि तुम गधे हो।*
*(समाप्त)*
*मेरी पड़ोसन खूब हंसी। बहुत देर बाते करने के बाद हम दोनों उठकर जाने लगे। जाते-२ उसने मुझे 100 रूपये दिये।*
*मैने पूछा: चुटकला पसन्द आया, इसलिये रूपये दे रही हो?*
*वो बोली: नहीँ, घास खरीदने के लिये।*😜😆😄😜😆😄😜😆😄