*कोरोनाकाल के लंबे लाकडाउन के बाद* जब स्कूल खुले तो सत्र की शुरुआत के पहले दिन, जब शिक्षक अपना रजिस्टर लेकर कक्षा बारहवी में दाखिल हुए तो वहाँ *मात्र ओर एकमात्र छात्र* को देखकर उनका हृदय अंदर ही अंदर गदगद हो गया परंतु अपनी कर्मठता दर्शाने के लिए उन्होंने अपनी भवों को तिरछा कर लिया और दो मिनट कक्षा में चहलकदमी करने के बाद उस छात्र से बोले, "32 बच्चे लिखे हैं इस रजिस्टर में और तुम कक्षा में अकेले हो। *क्या पढ़ाऊँ तुम अकेले को? तुम भी चले जाओ।"*
जनाब जब बालक पहले ही दिन पढ़ने आया था तो कुछ तो विशेष होगा ही उसमें। बालक तुरंत बोला, "सर, मेरे घर पर दूध का कारोबार होता है और 15 गायें हैं। अब आप एक पल के लिए फर्ज करो कि मैं सुबह उन पंद्रह गायों को चारा डालने जाता हूँ और पाता हूँ कि चौदह गाय वहाँ नहीं हैं तो क्या उन *चौदह गायों के कहीं जाने की वजह से मैं उस पंद्रहवीं गाय का उपवास करा दूँ?"*
शिक्षक को उस बालक का उदाहरण बहुत पसंद आया और उन्होंने अगले दो घण्टे तक उस बालक को अपने ज्ञान की गंगा से पूरा सराबोर कर दिया और कहा,
"तुम्हारी गायों वाली तुलना मुझे बहुत पसंद आयी थी। कैसा लगा मेरा पढ़ाना?"
बालक अदभुत था इसलिए तुरंत बोला, "सर, आपका पढ़ाना मुझे पसंद आया लेकिन 1 बात कहनी थी"
शिक्षक ने तुरंत पूछा, "क्या?"
बालक बोला, "चौदह गायों की गैरहाज़िरी में *पंद्रह गायों का चारा एक गाय को* नहीं डालना चाहिए था
ओर दूसरी बात कि जो बच्चे गैरहाजिरी है वो इसीलिये नहीं आये कि कही उनको कोरोना न हो जाये
*लेकिन जिसे कोरोना हो गया हो उसे किस बात का डर इसलिए मैं स्कूल आ गया* 😜
अगले ही पल शिक्षक बेहोश 🥴
शिक्षक कि रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है 😝😝
🤣🤣🤣🤣