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Saturday, August 27, 2022

From Railway Platform To An IAS Officer

 

M Sivaguru Prabakaran Went From Factory Worker Who Slept On Railway Platform To An IAS Officer




Born to a family of farmers, M Sivaguru Prabakaran’s family were doing everything that they could to meet the family's needs. The major reason that every family member was working in the fields was because of his father’s alcoholism and inability to earn a living.

Worked as a sawmill operator

Sivaguru's father was an alcoholic and therefore his mother and sister used to work in the field during the day and weave baskets to earn a livelihood, at night. Watching them work day and night, Sivaguru also decided to leave his education and work as a sawmill operator.

According to one of his interviews, Sivaguru Prabakaran said, “I worked as a sawmill operator for two years and did a bit of farming. Whatever money I could muster, I spent some on my family and saved some for my education. I wasn't prepared to let go of my dreams.”

Never let go of his dreams

Speaking to the Times of India, Sivaguru said, “I wasn’t prepared to let go of my dreams.” In 2008, Sivaguru decided to get himself an education too after having already paid for his brother's engineering and marrying off his sister. He enrolled in civil engineering at Thanthai Periyar Government Institute of Technology in Vellore.

“My English language skill was not good. I studied in Tamil medium,” Prabakaran said.

Soon after, Sivaguru decided to travel to Chennai with the hope of cracking the IIT-Madras entrance examinations.

Sleeping on platforms to clear the exam

Speaking to Times of India, he said, “A friend referred me to a tutor in St Thomas Mount who trained underprivileged students like me.” It was not easy at first as Sivaguru studied during the weekend and took shelter at the platforms of the St Thomas Mount railway station. He would then return to Vellore for his college during the week and worked part-time to support himself.

Prabhakaran’s hard work and consistency towards his goal bore fruit after he successfully cracked the IIT-M entrance and finished his M.Tech program with a top rank in 2014. After clearing IIT and finishing his M.tech Prabhakaran decided to pursue this dream of becoming an IAS.

Sivaguru started preparing for the exams but was unable to clear the UPSC exam in the first three attempts. But, this gritty young man who did not let any failure distract him from his goal, cracked the UPSC exams in his fourth attempt.

Inspiration for others

Sivaguru Prabhakaran’s inspirational journey to push himself and his family out of poverty by getting an education are incredibly heartwarming. Prabhakaran’s inspiring story will help many more individuals from his hometown as well as across the nation to never give up on his dreams.

Thursday, August 18, 2022

SHORT STORY

 

MOTIVATIONAL SHORT STORY 

*ये कथा रात को सोने से पहले घर मे सबको सुनायें*
       *एक बार एक राजा नगर भ्रमण को गया तो रास्ते में क्या देखता है कि एक छोटा बच्चा माटी के खिलौनो को कान में कुछ कहता फिर तोड कर माटी में मिला रहा है।*

      *राजा को बडा अचरज हुआ तो उसने बच्चे से पूछा कि तुम ये सब क्या कर रहे हो?*

      *तो बच्चे ने जवाब दिया कि मैं इन से पूछता हूं कि कभी राम नाम जपा ? और माटी को माटी में मिला रहा हूँ।*

       *तो राजा ने सोचा इतना छोटा सा बच्चा इतनी ज्ञान की बात।*

    *राजा ने बच्चे से पूछा, कि तुम मेरे साथ मेरे राजमहल में रहोगे?*

     *तो बच्चे ने कहा- कि जरुर रहूंगा पर मेरी चार शर्त है।*

*1- जब मैं सोऊं तब तुम्हें जागना पड़ेगा।*

*2- मैं भोजन खाऊगा तुम्हें भूखा रहना पड़ेगा।*

*3- मैं कपड़े पहनूंगा मगर तुम्हें नग्न रहना पड़ेगा।*

*4 - जब मैं कभी मुसीबत में होऊ तो तुम्हें अपने सारे काम छोड़ कर मेरे पास आना पड़ेगा।*

        *अगर आपको ये शर्तें मंजूर हैं तो मैं आपके राजमहल में चलने को तैयार हूं।*

        *राजा ने कहा - कि ये तो असम्भव है।*

        *तो बच्चे ने कहा, राजन तो मैं उस परमात्मा का आसरा छोड़ कर आपके आसरे क्यूं रहूं, जो खुद नग्न रह कर मुझे पहनाता है, खुद भूखा रह कर मुझे खिलाता है, खुद जागता है और मैं निश्चिंत सोता हूँ, और जब मैं किसी मुश्किल में होता हूँ तो वो बिना बुलाए, मेरे लिए अपने सारे काम छोड़ कर दौडा आता है।*

  💥 *कथासार* 💥
 *भाव केवल इतना ही है कि हम लोग सब कुछ जानते समझते हुए भी बेकार के विषय- विकारो में उलझ कर परमात्मा को भुलाए बैठे हैं, जो हमारी पल पल सम्भाल कर रहे हैं उस प्यारे के नाम को भुलाए बैठे हैं।*

Monday, August 15, 2022

MOTIVATIONAL SHORT STORY

MOTIVATIONAL SHORT STORY 

गहन विचार करने योग्य बात
एक बडी कंपनी के गेट के सामने एक प्रसिद्ध समोसे की दुकान थी, लंच टाइम मे अक्सर कंपनी के कर्मचारी वहाँ आकर समोसे खाया करते थे।
एक दिन कंपनी के एक मैनेजर समोसे खाते खाते समोसेवाले से मजाक के मूड मे आ गये।
मैनेजर साहब ने समोसेवाले से कहा, "यार गोपाल, तुम्हारी दुकान तुमने बहुत अच्छे से maintain की है, लेकीन क्या तुम्हे नही लगता के तुम अपना समय और टैलेंट समोसे बेचकर बर्बाद कर रहे हो.? सोचो अगर तुम मेरी तरह इस कंपनी मे काम कर रहे होते तो आज कहा होते.. हो सकता है शायद तुम भी आज मैंनेजर होते मेरी तरह.."
इस बात पर समोसेवाले गोपाल ने बडा सोचा, और बोला, " सर ये मेरा काम अापके काम से कही बेहतर है, 10 साल पहले जब मै टोकरी मे समोसे बेचता था तभी आपकी जाॅब लगी थी, तब मै महीना हजार रुपये कमाता था और आपकी पगार थी 10 हजार।
इन 10 सालो मे हम दोनो ने खूब मेहनत की..
आप सुपरवाइजर से मॅनेजर बन गये.
और मै टोकरी से इस प्रसिद्ध दुकान तक पहुँच गया.
आज आप महीना 50000/- कमाते है
और मै महीना 200000/-
लेकिन इस बात के लिए मै मेरे काम को आपके काम से बेहतर नही कह रहा हूँ।
ये तो मै बच्चों के कारण कह रहा हूँ।
जरा सोचिए सर मैने तो बहुत कम कमाई पर धंधा शुरू किया था, मगर मेरे बेटे को यह सब नही झेलना पडेगा।
मेरी दुकान मेरे बेटे को मिलेगी, मैने जिंदगी मे जो मेहनत की है, वो उसका लाभ मेरे बच्चे उठाएंगे। जबकी आपकी जिंदगी भर की मेहनत का लाभ आपके मालिक के बच्चे उठाएंगे।
अब आपके बेटे को आप डाइरेक्टली अपनी पोस्ट पर तो नही बिठा सकते ना.. उसे भी आपकी ही तरह जीरो से शुरूआत करनी पडेगी.. और अपने कार्यकाल के अंत मे वही पहुच जाएगा जहाँ अभी आप हो।
जबकी मेरा बेटा बिजनेस को यहा से और आगे ले जाएगा..
और अपने कार्यकाल मे हम सबसे बहुत आगे निकल जाएगा..
अब आप ही बताइये किसका समय और टैलेंट बर्बाद हो रहा है ?"
मैनेजर साहब ने समोसेवाले को 2 समोसे के 20 रुपये दिये और बिना कुछ बोले वहाँ से खिसक लिये.......!!!🙏🙏

MOTIVATIONAL SHORT STORY

 MOTIVATIONAL SHORT STORY

गहन विचार करने योग्य बात
एक बडी कंपनी के गेट के सामने एक प्रसिद्ध समोसे की दुकान थी, लंच टाइम मे अक्सर कंपनी के कर्मचारी वहाँ आकर समोसे खाया करते थे।
एक दिन कंपनी के एक मैनेजर समोसे खाते खाते समोसेवाले से मजाक के मूड मे आ गये।
मैनेजर साहब ने समोसेवाले से कहा, "यार गोपाल, तुम्हारी दुकान तुमने बहुत अच्छे से maintain की है, लेकीन क्या तुम्हे नही लगता के तुम अपना समय और टैलेंट समोसे बेचकर बर्बाद कर रहे हो.? सोचो अगर तुम मेरी तरह इस कंपनी मे काम कर रहे होते तो आज कहा होते.. हो सकता है शायद तुम भी आज मैंनेजर होते मेरी तरह.."
इस बात पर समोसेवाले गोपाल ने बडा सोचा, और बोला, " सर ये मेरा काम अापके काम से कही बेहतर है, 10 साल पहले जब मै टोकरी मे समोसे बेचता था तभी आपकी जाॅब लगी थी, तब मै महीना हजार रुपये कमाता था और आपकी पगार थी 10 हजार।
इन 10 सालो मे हम दोनो ने खूब मेहनत की..
आप सुपरवाइजर से मॅनेजर बन गये.
और मै टोकरी से इस प्रसिद्ध दुकान तक पहुँच गया.
आज आप महीना 50000/- कमाते है
और मै महीना 200000/-
लेकिन इस बात के लिए मै मेरे काम को आपके काम से बेहतर नही कह रहा हूँ।
ये तो मै बच्चों के कारण कह रहा हूँ।
जरा सोचिए सर मैने तो बहुत कम कमाई पर धंधा शुरू किया था, मगर मेरे बेटे को यह सब नही झेलना पडेगा।
मेरी दुकान मेरे बेटे को मिलेगी, मैने जिंदगी मे जो मेहनत की है, वो उसका लाभ मेरे बच्चे उठाएंगे। जबकी आपकी जिंदगी भर की मेहनत का लाभ आपके मालिक के बच्चे उठाएंगे।
अब आपके बेटे को आप डाइरेक्टली अपनी पोस्ट पर तो नही बिठा सकते ना.. उसे भी आपकी ही तरह जीरो से शुरूआत करनी पडेगी.. और अपने कार्यकाल के अंत मे वही पहुच जाएगा जहाँ अभी आप हो।
जबकी मेरा बेटा बिजनेस को यहा से और आगे ले जाएगा..
और अपने कार्यकाल मे हम सबसे बहुत आगे निकल जाएगा..
अब आप ही बताइये किसका समय और टैलेंट बर्बाद हो रहा है ?"
मैनेजर साहब ने समोसेवाले को 2 समोसे के 20 रुपये दिये और बिना कुछ बोले वहाँ से खिसक लिये.......!!!🙏🙏

MOTIVATIONAL SHORT STORY

 MOTIVATIONAL SHORT STORY

A very impressive and inspiring story .
A newspaper hawker used to come at about 5 in the morning to deliver the newspaper, and would find me walking in the gallery of my house. So, while crossing the main gate of my house, he would throw the newspaper in the balcony without stopping his bicycle, greet me with "Namaste Babuji" and then proceed with speed. 

As the years went by and I got older, my time to awaken had also changed. Now I used to wake up at 7 a.m.

When he did not see me walking in the morning for several days, one Sunday at about 9 in the morning, he came to my residence to ask about my well-being. When he found out that all is well at home, and it was just that I had started getting up late, he said with folded hands, "Babuji! Can I say something?" I said, "Go ahead."

He said, "Why are you changing such a good habit of getting up early in the morning? It is for you that I pick up the newspapers from the Vidhan Sabha road early in the morning, and ride very fast to deliver my first newspaper to you. While coming, I just keep thinking that I shouldn't be late. You would be waiting for the newspaper."

I asked in surprise, "You bring the newspapers from Vidhan Sabha Road?" "Yes, that's where the first distribution starts from," he replied.

I asked him another question, "Then what time do you wake up?" "At half past two...so I reach there by half past three."

"Then?" I asked. "Then after distributing the newspapers, around seven o'clock I go back home and sleep.Then there's office at ten o'clock….to raise the kids, all this has to be done."

I kept looking at him for a few moments and then said, "Okay! I will keep your valuable suggestion in mind."

Almost fifteen years had passed since this incident. One morning, around nine o'clock in the morning, he came to my house and handed me an invitation card. He said, "Babuji! It's my daughter's wedding... I want you to come with your family."

When I looked at the invitation card with a cursory glance, it seemed like it was for the wedding of a doctor girl to a doctor boy. So, unintentionally I said, "Your daughter?"

And I don't know how he interpreted my question that he said with amazement, "What are you talking about, Babuji! Of course, it's my daughter!"

Correcting my stance and getting rid of my awkwardness, I said, "I meant, I'm delighted to see that you've made your daughter a doctor."

“Yes Babuji! Daughter has done MBBS from KGMC and her future husband is also an MD there…and Babuji! My son is also in his final year of engineering.”

Standing at the door, I was thinking whether I should invite him inside or not, when he said, "Okay Babuji! I'll leave now.....Still many more cards to be distributed.....please come with your family, my entire family will feel very happy to see you all."

Then I thought, I have never asked him to come inside till now, and suddenly today the invitation to sit inside would just be a sham. So with a formal _Namaste_ , I bid him farewell from outside.

After two years of that incident, when he once again came to my residence, it came out in conversation that his son was working somewhere in Germany.

Now, out of curiosity, I finally asked him the question : "How did you provide for the higher education of your children with your limited income?"

"Babuji! It's a very long story but I will try to tell you in brief. Apart from newspapers and my job, I used to do keep doing some work in my spare time. I also made my daily expenses very carefully. I used to go to the market only at night and buy only the cheap, seasonal vegetables like pumpkin, gourd, brinjal...because at night when it was time for the shops to close, the shopkeepers would give the vegetables for very less.

One day, my son went to play with the neighborhood kids to their house, and he came back with a long face and moist eyes. It seemed like he wanted to ask us a lot of questions. When we all sat down to eat in the evening, my son started crying on seeing the vegetable and _roti_ in the plate and said to his mother, "What is this... the same dull, tasteless vegetables like pumpkin, brinjal, gourd...this dry food… I am tired of eating all this. When I go to my friends' house, they have peas-paneer, koftas, dum aloo, what not! And here, just one vegetable and dry _roti_ ."

I looked at him lovingly and said, "First you stop crying, then we'll talk about it."

Then I said, "Son! Always look at your own plate. If we look into what others have, we will not even be able to enjoy what we actually have. Whatever we have in the present, we should accept it from the heart, thank God and always keep trying to improve our future. Always believe in yourself, that only you have the power to change your future and no one else. Keep trying to better yourself."

"My son wiped away his tears and then looked at me with a smile, as if trying to say, that I promise you that from today onwards I will not compare my life with anyone and do my best to make my future better. And since then, none of my children made any demands of any kind from me. With limited resources, they started to improve their life. Babuji! Wherever they are today, is the result of their own sacrifices."

I kept listening to his words silently and intently. I was able to feel the power of a father's love in the deepest core of my heart.

                          ♾️
*"Our future, our destiny, and how well we build it depends on us."

MOTIVATIONAL SHORT STORY

 MOTIVATIONAL SHORT STORY

*आज का प्रेरक प्रसंग* 


   !! *शिक्षा की बोली ना लगने दें !!*
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एक नगर में रहने वाले एक पंडित जी की ख्याति दूर-दूर तक थी। पास ही के गाँव में स्थित मंदिर के पुजारी का आकस्मिक निधन होने की वजह से, उन्हें वहाँ का पुजारी नियुक्त किया गया था। एक बार वे अपने गंतव्य की और जाने के लिए बस में चढ़े, उन्होंने कंडक्टर को किराए के रुपये दिए और सीट पर जाकर बैठ गए। कंडक्टर ने जब किराया काटकर उन्हें रुपये वापस दिए तो पंडित जी ने पाया कि कंडक्टर ने दस रुपये ज्यादा दे दिए हैं। पंडित जी ने सोचा कि थोड़ी देर बाद कंडक्टर को रुपये वापस कर दूंगा। कुछ देर बाद मन में विचार आया कि बेवजह दस रुपये जैसी मामूली रकम को लेकर परेशान हो रहे है।

आखिर ये बस कंपनी वाले भी तो लाखों कमाते हैं, बेहतर है इन रूपयों को भगवान की भेंट समझकर अपने पास ही रख लिया जाए। वह इनका सदुपयोग ही करेंगे। मन में चल रहे विचारों के बीच उनका गंतव्य स्थल आ गया। बस से उतरते ही उनके कदम अचानक ठिठके, उन्होंने जेब मे हाथ डाला और दस का नोट निकाल कर कंडक्टर को देते हुए कहा, भाई तुमने मुझे किराया काटने के बाद भी दस रुपये ज्यादा दे दिए थे। कंडक्टर मुस्कराते हुए बोला, क्या आप ही गाँव के मंदिर के नए पुजारी है?

पंडित जी के हामी भरने पर कंडक्टर बोला, मेरे मन में कई दिनों से आपके प्रवचन सुनने की इच्छा थी, आपको बस में देखा तो ख्याल आया कि चलो देखते है कि मैं अगर ज्यादा पैसे दूँ तो आप क्या करते हो.. अब मुझे विश्वास हो गया कि आपके प्रवचन जैसा ही आपका आचरण है। जिससे सभी को सीख लेनी चाहिए: बोलते हुए, कंडक्टर ने गाड़ी आगे बढ़ा दी। पंडितजी बस से उतरकर पसीना-पसीना थे।

उन्होंने हाथ जोड़कर भगवान का आभार व्यक्त किया कि हे प्रभु! आपका लाख-लाख शुक्र है, जो आपने मुझे बचा लिया, मैने तो दस रुपये के लालच में आपकी शिक्षाओं की बोली लगा दी थी। पर आपने सही समय पर मुझे सम्हलने का अवसर दे दिया। कभी कभी हम भी तुच्छ से प्रलोभन में, अपने जीवन भर की चरित्र पूँजी दाँव पर लगा देते हैं

ENGLISH VERSION

* Motivational Story*


   , *Don't let education bid!!*
,


The fame of a Pandit ji living in a city was far and wide. Due to the sudden demise of the priest of the temple located in a nearby village, he was appointed the priest there. Once he boarded the bus to go to his destination, he gave the fare money to the conductor and sat down on the seat. When the conductor gave him back the money after deducting the fare, Pandit ji found that the conductor had given ten rupees more. Pandit ji thought that after a while I would return the money to the conductor. After some time a thought came in my mind that unnecessarily they are getting worried about a small amount like ten rupees.

After all, even these bus company people earn lakhs, it is better to keep these money as God's gift and keep it with you. He will make good use of them. His destination came amidst the thoughts running in his mind. As soon as he got off the bus, his feet suddenly stopped, he put his hand in his pocket and took out the ten rupee note and gave it to the conductor and said, brother, you gave me ten rupees more even after deducting the fare. The conductor smiled and said, are you the new priest of the village temple?

When Panditji agreed, the conductor said, I had a desire to listen to your discourses for many days, when I saw you in the bus, I thought, let's see what you do if I give more money.. Now believe me It is known that your conduct is the same as your discourse. From which everyone should learn: Speaking, the conductor pushed the train forward. Panditji was sweating after getting off the bus.

He thanked God with folded hands that Oh Lord! Thank you lakhs and lakhs, which you saved me, I had bid for your teachings in the greed of ten rupees. But you gave me an opportunity to take care of me at the right time. Sometimes we, too, put at stake our life's worth of character capital, in the tiniest of temptations.

Motivational short story

Motivational short story

*उन चारों को होटल में बैठा देख, अभय हड़बड़ा गया.*
.
*लगभग 25 सालों बाद वे फिर उसके सामने थे.*

 *शायद अब वो बहुत बड़े और संपन्न आदमी हो गये थे.*

 * अभय को अपने स्कूल के दोस्तों का खाने का आर्डर लेकर परोसते समय बड़ा अटपटा लग रहा था.*

 *उनमे से दो मोबाईल फोन पर व्यस्त थे और दो लैपटाप पर.*

 *अभय पढ़ाई पुरी नही कर पाया था. उन्होंने उसे पहचानने का प्रयास भी नही किया.*
  *वे खाना खा कर बिल चुका कर चले गये.* 

 *अभय को लगा उन चारों ने शायद उसे पहचाना नहीं या उसकी गरीबी देखकर जानबूझ कर कोशिश नहीं की.*

  *उसने एक गहरी लंबी सांस ली और टेबल साफ करने लगा.*
.
*टिश्यु पेपर उठाकर कचरे मे डलने ही वाला था,* 

*शायद उन्होने उस पे कुछ* *जोड़-घटाया था.* 

*अचानक उसकी नजर उस पर लिखे हुये शब्दों पर पड़ी.*  

*लिखा था - अबे साले तू हमे खाना खिला रहा था तो तुझे क्या लगा तुझे हम पहचानें नहीं?*
*अबे 25 साल क्या अगले जनम बाद भी मिलता तो तुझे पहचान लेते.*

 *तुझे टिप देने की हिम्मत हममे नही थी.*
*हमने पास ही फैक्ट्री के लिये जगह खरीदी है.*
 *औरअब हमारा इधर आन-जाना तो लगा ही रहेगा.*

*आज तेरा इस होटल का आखरी दिन है.*

  *हमारे फैक्ट्री की कैंटीन कौन चलाएगा बे* 
*तू चलायेगा ना?*
*तुझसे अच्छा पार्टनर और कहां मिलेगा??? याद हैं न स्कुल के दिनों हम पांचो एक दुसरे का टिफिन खा जाते थे.  आज के बाद रोटी भी मिल बाँट कर साथ-साथ खाएंगे.*
.
*अभय की आंखें भर आई* 😓

*उसने डबडबाई आँखों से आकाश की तरफ देखा और उस पेपर को होंठो से लगाकर करीने से दिल के पास वाली जेब मे रख लिया.*

*सच्चे दोस्त वही तो होते है*
*जो दोस्त की कमजोरी नही सिर्फ दोस्त देख कर ही खुश हो जाते है..*

*हमेशा अपने अच्छे दोस्त की कद्र करे*                                       

ENGLISH VERSION
* Seeing all four of them sitting in the hotel, Abhay got flustered.*
,
After about 25 years, he was again in front of him.*

 * Maybe now he had become a very big and rich man.

 * Abhay was feeling awkward while serving food orders from his school friends.*

 *Two of them were busy on mobile phone and two on laptop.*

 * Abhay could not complete his studies. They didn't even try to recognize him.
  * They left after having food and paid the bill.*

 * Abhay felt that the four of them might not have recognized him or did not try deliberately after seeing his poverty.*

  He took a deep breath and started cleaning the table.
,
*was about to pick up the tissue paper and throw it in the garbage,*

* Maybe they did something on that * * had added and subtracted.*

*Suddenly his eyes fell on the words written on him.*

*Wrote - Now brother-in-law, you were feeding us food, so what did you think we did not recognize you?*
* If you had got 25 years after the next birth, would you have recognized you.*

 * We did not have the courage to give you a tip.*
*We have bought a place for the factory nearby.*
 * And now we will continue to go here and there.*

*Today is your last day of this hotel.*

  *Who will run the canteen of our factory?
*Will you drive?*
* Where else can you find a better partner than you??? Do you remember during school days we used to eat each other's tiffin. After today we will share bread and eat it together.
,
* Abhay's eyes filled with *

* He looked at the sky with tearful eyes and put that paper on his lips and kept it neatly in the pocket near the heart.*

*True friends are those only*
* Those who are happy only by seeing friends, not weakness of friends..*

* always respect your good friend * 


MOTIVATIONAL SHORT STORY

 MOTIVATIONAL SHORT STORY    

*It is a strange windfall, that politics is an employment in India.  Sometime back, Philippine President Rodrigo Dutarte came to India and after addressing the Indian Parliament, he started meeting Indian MPs and asked Indian MPs what do you do ??  (He asked two or three times)*
 *Indian MPs did not understand what His Excellency the Philippines wanted to know.*
 *Then he changed the question and asked what is your income source?*
  *Almost all the MPs said that our income comes from politics, allowances, salary and pension are the only source of income.*

 *Rodrigo Dutarte * was surprised that in a developing democratic system with such a large number of MPs, Ministers, Presidents are dependent only on salary and allowances and this money is collected from the public in tax.*
 *He then smiled lightly and told the Indian MPs that he is a farmer by profession and the main source of his income is agriculture.  He told that he reaches the farm every day at 5 in the morning and after settling his farm work, comes back at 9 o'clock and prepares for the office of the President and from 10 o'clock, the President of the country performs his duties.*

HINDI VERSION-

यह आश्चर्यजनक है कि भारत में राजनीति एक रोजगार है। कुछ समय पहले फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते भारत आए और भारतीय संसद को संबोधित करने के बाद उन्होंने भारतीय सांसदों से मिलना शुरू किया और भारतीय सांसदों से पूछा कि आप क्या करते हैं ?? (उन्होंने दो-तीन बार पूछा)*
 *भारतीय सांसदों को यह समझ में नहीं आया कि फिलीपींस के महामहिम क्या जानना चाहते हैं।*
 *फिर उसने सवाल बदल दिया और पूछा कि तुम्हारी आमदनी का जरिया क्या है?*
  *लगभग सभी सांसदों ने कहा कि हमारी आय राजनीति से आती है, भत्ते, वेतन और पेंशन ही आय का एकमात्र स्रोत है।*

 *रोड्रिगो दुतेर्ते* को आश्चर्य हुआ कि इतनी बड़ी संख्या में सांसदों के साथ एक विकासशील लोकतांत्रिक व्यवस्था में, मंत्री, राष्ट्रपति केवल वेतन और भत्तों पर निर्भर हैं और यह पैसा जनता से टैक्स में वसूला जाता है।*
 *फिर वे हल्के से मुस्कराए और भारतीय सांसदों से कहा कि वे पेशे से किसान हैं और उनकी आय का मुख्य स्रोत कृषि है। उन्होंने बताया कि वह रोज सुबह 5 बजे खेत पहुंचते हैं और अपना खेत का काम निपटाने के बाद 9 बजे वापस आकर राष्ट्रपति के कार्यालय की तैयारी करते हैं और 10 बजे से देश के राष्ट्रपति अपना प्रदर्शन करते हैं। 


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